>>>वायरलेस पावर ट्रांसफर<<<
आज से 200 साल पहले जब ए.सी. (alternating current) बिजली (Electricity) की विस्तार नहीं हुई थी,उस समय पूरी दूनिया में अंधेरे का साम्राज्य हुआ करता था
जिन्होनें पूरी दूनिया को रोशन करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया ,उस महान व्यक्ति का नाम था निकोला टेसला। जिनकी पूरी जिन्दगी विज्ञान को समर्पित थी। और आज से लगभग 150 साल पहले कुछ ही जगहों पर डायरेक्ट करेंट की सप्लाई होती थी, उसका कारण था DC सप्लाई में ट्रांसफार्मर का उपयोग न होने के कारण कन्डक्टर (चालक) का मोटाई अधिक होना तथा हीट loss (हानि)ज्यादा होना।
जिसके कारण DC सप्लाई की मूल्य बहुत ज्यादा था निकोला टेसला इस समस्या का हल जानते थे, कि कैसे टांसफार्मर का उपयोग करके कन्डक्टर की साइज को कम किया जाय और कम मूल्य में पूरी दूनिया में अल्टरनेटिंग करेंट को पहुंचाया जाय । उन्होने अपने इस अल्टरनेटिंग करेंट के concept (सिद्धांत) को थामस अल्वा एडिसन के सामने रखा, लेकिन थामस अल्वा एडीसन पूरी दूनिया में डायरेक्ट करेंट की सप्लाई करना चाहते थे ,जिसके कारण उनके बीच लड़ाई हो गई जिसे करेंट वार के नाम से जाना जाता है
हांलाकि अंत में जीत निकोला टेसला की ही हुई और अल्टरनेटिंग करेंट के लाभ को देखते हुए पूरी दूनिया में AC बिजली ही पहुंचायी गयी। दोस्तो यही कारण है कि बिजली से चलने वाली लगभग सभी उपकरण एवं मशीनें AC यानी अल्टरनेेटिंग के लिये डिजाइन की गई हैं।
उसके बाद सन् 1891में उन्होने एक टेसला क्वाॅइल का निर्माण किया टेसला क्वाॅइल एक रेजोनेन्स ट्रांसफार्मर है।
इस टॉवर को बनाने के लिए फण्ड उस समय के प्रसिद्ध बिजनेस मेन J.P. Morgan देते थे।
लेकिन जब J.P. Morgan को पता चला की इस Tower से कोई भी वायरलेस बिजली ले सकेंगे।
तो उन्होंने निकोला टेसला को फण्ड देना बंद कर दिया और फण्ड न मिलने के कारण यह महत्त्वपूर्ण आविष्कार दूनिया के सामने नही आ सकी।
>>Wireless Charging pad
इसमें ट्रांसमीटर और रिसीवर दो क्वाॅइल होते हैं ट्रांसमीटर क्वाइल में हाई फ्रीक्वेंसी की मैग्नेटिक फील्ड बनाया जाता हैं जिसके कारण पास रखे में दूसरी क्वाॅदल में फैराडे के म्यूचूअल इंडक्शन नियम के अनुसार ई.एम.एफ. करेंट प्ररित हो जाता है यह ई.एम.एफ. हाई फ्रीक्वेंसी मैग्नेटिक फील्ड के कारण हवा से ट्रांसमिट होती है दोनो क्वाइल एक कोर ट्रांसफार्मर की तरह काम करता है जिसके कारण बिजली कुछ दूर तक ट्रांसमिट होती हैं।
>>टेसला क्वाॅइल को हम दो प्रकार से बना सकते हैं
1 ट्रांजिस्टर/mosfet के द्वारा (solid state tesla coil)
2 ट्रांसफार्मर के द्वारा (spark gap tesla coil)
>>The following components will be required to make a transistor based Tesla coil.
इसे small एवं medium दो प्रकार से बना सकते हैं,
Small के लिए transistor 2n2222 का उपयोग 9 volt के बैटरी के साथ करेंगे। और medium के लिये transistor TIP41C का उपयोग 18-30 volt DC SUPPLY के साथ करेंगे
1.Coil (27-36 number/gauge copper coil)
2.Transister TIP 41C for small-2n2222
3.Resister-22k ohm for small ,10 -15 k for medium
4.DC supply 18-24 volt/ 9 volt battery
5.pvc pipe or non metallic pipe10-15cm
>सर्किट के अनुसार सप्लाई के -ve टर्मिनल को ट्रांजिस्टर के Emitter से कनेेक्ट करेंगे ।
>सप्लाई के +ve टर्मिनल को स्विच से एवं स्विच का दूसरा टर्मिनल 10 k ohm तथा प्राइमरी क्वाइल के प्रथम सिरे के साथ कनेेक्ट करेेंगे।
>प्रथम क्वाॅइल के दूसरे सिरे का कनेक्शन ट्रांजिस्टर के Common के साथ करेंगे।
>ट्रांजिस्टर के Base का कनेक्शन दूसरे क्वाॅइल के सिरे से करेंगे।
Note-यदि सर्किट के अनुसार कनेक्शन हो जाने के बाद यदि टेसला क्वाइल काम न करें तो प्राथमिक क्वाइल को आपस में बदल देंगे।
>>ट्रांजिस्टर बेस्ड टेसला क्वाइल का कार्यप्रणाली(working)
>जैसे ही स्विच को ON करते हैं सप्लाई(battery) के +ve टर्मिनल से करेंट दो भाग में बट जाता है 1. प्राथमिक क्वाइल से होते हुए transister के common टर्मिनल पर पहुंचताा है।
2 .10 k Resistor से होते हुए Base पर पहुंचती है।
>जिसके कारण बेस से होते हुए small बेस करेंट फ्लो होगी चूंकि इस परिपथ में ट्रांजिस्टर स्विचिंग की भांती कार्य करता है इसलिए करेंट Collector से Emitter एवं Emitter से battery के -ve टर्मिनल पर पहुंचेगी।
>जिससे प्राइमरी सर्किट में करेंट फ्लो होगी जिसके कारण प्राइमरी क्वाॅइल में मैग्नेटिक फील्ड प्रोड्यूस होगा
Basic circuit diagram of solid state tesla coil>दूसरे क्वाइल में +ve सिरा उपर की ओर तथा -ve सिरा नीचे की ओर होगा चूंकि -ve सिरा ट्रांजिस्टर बेस से कनेक्टेड है।
>इसलिए ट्रांजिस्टर रिवर्स बायस में चला जायेगा और ट्रांजिस्टर OFF हो जायेगा और प्राइमरी क्वाइल का फ्लक्स collapse (समाप्त) हो जायेगा
>और उसके बाद सेकंडरी क्वाइल की polarity बदल जायेगा।
>उसके बाद फिर से ट्रांजिस्टर फाॅरवर्ड बायस में ON हो जायेगा तथा प्राइमरी क्वाइल में करेंट फ्लो होगी।
और यही प्रक्रिया यह प्रक्रिया अधिक स्पिड से चलती रहेगी एवं दोनो क्वाइल continue ON/OFF होते रहेंगे।लेकिन दोनों एक साथ ON/OFF नही होंगे,एक ON होगा तो दूसरा डिस्चार्ज होगा।
>>ट्यूब लाइट/ CFL कैसे जलती है?
>ट्रांजिस्टर के बहुत ही तीव्र गति से ON,OFF होनेे के कारण सेकंडरी क्वाइल में हाई Frequency की करेंट तथा टर्न अधिक होने के कारण सेकंडरी क्वाइल में हाई वोल्टेज produce होगी ।
>Secondary coil में हाई frequency की वोल्टेज induce होने के कारण coil में different potential होने के कारण coil के across केपेसिटेंस आ जाता है जिसे parasitic capacitance कहते हैं । जिसके कारण सेकण्डरी क्वाइल में self resonance की प्रवृत्ति भी होती है।
> और इस capacitance के कारण हाई इलेक्ट्रिक फील्ड प्रोड्यूस हो जाता है एवं ट्यूब लाइट/CFL में मरकरी की वाष्प, आर्गन एवं फॉस्फर की कोटिंग होती है। मरकरी की वाष्प हाई इलेक्ट्रिक फील्ड के कारण आयनित हो जाती है और पराबैगनी किरण(ultra violet) की उत्सर्जन करती है जो अदृश्य प्रकाश होती है जिसे फॉस्फर की कोटिंग करके दृश्य प्रकाश बदला जाता है। आर्गन गैस जो अक्रिय होती है फिलामेंट को सुरक्षित रखने का कार्य करती है लेकिन tesla coil में इस फिलामेंट की आवश्यकता नहीं है।
>>LED लाइट कैसे जलती है?
टेसला क्वाइल से changing (समय के साथ बदलने वाली) मैग्नेटिक फील्ड और इलेक्ट्रिक फील्ड दोनो प्रोड्यूस होती है
इलेक्ट्रिक फील्ड में ट्यूब लाइट जलती है जबकि LED लाइट फैराडे के इलेक्ट्रो मैग्नेटिक इंडक्शन के अनुसार चेंजिंग मैग्नेटिक फील्ड में होने के कारण क्वाइल emf induced में हो जाता है जिससे LED जलती है। क्वाइल को 30 टर्न करके led से कनेक्ट करके क्वाइल को सेकंडरी क्वाइल के पास मैग्नेटिक फील्ड में लाने पर led जलने लगती है।
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