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Maglev train क्या है? | Maglev train कैसे कार्य करती है? | Train की इतिहास | simple electromagnet train कैसे कार्य करती है



>>ट्रेन (रेलगाड़ी) की इतिहास


आज से लगभग 250 साल पहले जब ट्रेन नहीं थी तब लोग समान को लाने ले जाने के लिए घोड़े का उपयोग करते थे ।


फिर सन् 1604 इंग्लैण्ड के वोलाटॅन में पहली बार लकड़ी से बनाई गई पटरियों पर काठ के डब्बों की शक्ल में तैयार किये गये ट्रेन को घोड़ों ने खींचा था।उस समय पूरी दुनिया में परिवहन के लिए तेज गति से चलने वाले साधन की आवश्यकता कई वर्षों से महसूूस की जा रही थीं। फिर सन् 1804 में इंजीनियर रिचर्ड ट्रेवेथिक ने भाप इंजन बनाया।


 जो दूनिया का पहला रेल इंजन था। जो वस्तुओं को खीचने में सक्षम था, लेकिन बहुत भारी वस्तुओं को खीचने में सक्षम नही था।
उसके बाद सन् 1814 में जाॅर्ज स्टीफन ने एक और भाप इंजन बनाया 


जो शक्तिशाली था और पहले इंजन की तुलना में भारी वस्तुओं को खीचने मे सक्षम था इसी प्रकार रेल का विकास होता रहा और भारत में पहली ट्रेन 16 अप्रैल 1853 को बोरीबंदर छत्रपति शिवाजी टर्मिनस से प्रारंभ हुई और ठाने के बीच चली।  जो भाप इंजन थी।
उसके बाद इसी क्रम मे सन् 1879 में werner von siemens  ने पहला इलेक्ट्रिक रेल बनाया  जो 13km/h की स्पीड से चलती थी 


एवं इसी क्रम में रेल का विकास  होता रहा और सन् 1984 में मैग्लेव ट्रेन आया।

Simple electromagnet train

(Not related to maglev but Acceleration like a maglev)

 इस ट्रेन की Acceleration (गति वृद्धि) मैग्लिव(maglev) ट्रेन से थोड़ीसी अलग होती है। इसमें मैग्नेटिक लेविटेशन का उपयोग नहीं करते हैं इस ट्रेन को Accelerate (गति वृद्धि) करने के लिए  simple electromagnetic ट्रेन में सेल को


मैग्नेट(neodymium magnet) के साथ जब बिना इन्सुलेसन के क्वाइल में रखा जाता है तब क्वाइल में डी.सी. करेंट फ्लो होता है जिसके कारण क्वाइल मैग्नेटाइज हो जाता है और क्वाइल में N-S पोल बन जाते हैं जब क्वाइल में करेंट anticlockwise direction(घड़ी के विपरित दिशा) में फ्लो होता है तब क्वाइल में ट्रेन के across N-S पोल बनेंगे और ट्रेन आगे की ओर चलेगी

एवं जब क्वाइल के करेंट clockwise direction( घड़ी की दिशा) में फ्लो होगी तो क्वाइल में ट्रेन के across S-N पोल बनेंगे जिसके कारण ट्रेन पिछे की ओर चलेगी।

>>Maglev train(मैग्लेव ट्रेन)

मैग्लेव ट्रेन दो शब्दों से मिलकर बना है Maglev-magnetic levitation
इसमें मैग्नेट के दो लेयर होते हैं पहला लेयर ट्रेन को पटरी से उपर उठाने (levitation) का तथा दूसरा लेयर ट्रेन को खींचने (acceleration)का कार्य करता है जिससे ट्रेन Accelerate होती है (आगे बड़ती है) ट्रेन ट्रेक के सम्पर्क में नहीं होने के कारण घर्षण बहुत ही कम होता है जिसके कारण ट्रेन अधिक स्पीड से चलती है।

ट्रेन को lavitate करने (ट्रेक से उपर उठाने) की विधियाॅ

1.Electrodynamic suspension
2.Electromagetic suspension

>>Electrodynamic suspension

                                                          इस सिस्टम में में ट्रेन को ट्रेक से उपर उठाने(levitate) के लिए सुपरकन्डक्टर का उपयोग किया जाता है  सुपरकन्डक्टर एक ऐसा  कन्डटर है जिसका प्रतिरोध (resistance)क्रिटिकल तापमान (temperature)  पर शून्य होता है रजिस्टेंस शून्य होने के कारण सुपरकन्डर की क्वाइल एक  बार सप्लाई से कनेक्ट हो जाने के बाद लगातार सप्लाई बनी रहती है बिना हानि (loss) के जिसके कारण ट्रेन मे पाॅवरफुल मैग्नेट बनता है। ट्रेन को लेविटेट करने के लिए ट्रेक पर दो क्वाइल होते हैं जिसमे फैराडे के इलेक्ट्रो मैग्नेटिक इन्डक्शन नियम के अनुसार  EMF induce हो


जाता है जिसके कारण करेंट, eddy करेंट के समान  दोनों क्वाइल में घुमते रहता है,लेंज के नियम अनुसार पास वाले क्वाइल में ऐसा पोल (ध्रुव) बनाते हैं जो सुपरकन्डक्टर से बने पोल का विरोध करता है तथा दूर वाले क्वाइल में ऐसा पोल बनता है जो सुपरकन्डक्टर से बने पोल का  सपोर्ट करता  है अर्थात्   यदि सुपरकन्डर में N पोल बनता है तो पास वाले क्वाइल में समान पोल N बनेंगे जिसके कारण एक दूसरे को प्रतिकर्षित (repel) करेंगे और ट्रेन को उपर की ओर ढकेलेंगे तथा दूर वाले क्वाइल में S पोल बनेगा जिसके कारण एक दूसरे को आकर्षित (attract) करेंगे जिसके  कारण ट्रेन मे उपर की ओर attractive force (आकर्षण बल) लगेगा जिसके कारण इस सिस्टम में ट्रेन ट्रेक से 10cm उपर उठ जाता है और ट्रेन सबसे अधिक स्पीड (581km/h) से चलती है इस सिस्टम का उपयोग जापान करता है।

>>Electromagnetic suspension

                                                          इस सिस्टम में  ट्रेन को levitate (उपर उठाने) और बैलेन्स करने के लिए मैग्नेट के असमान ध्रुवों (N-S) में attraction (आकर्षण)और समान ध्रुव(N-N/S-S)में repulsion (प्रतिकर्षित) होता है इसी principle (सिद्वांत) का उपयोग इस सिस्टम में करते हैं



 ट्रेन में एक लेविटेशन क्वाइल होती है एवं ट्रेक ( पटरी ) पर एक फेरोमैग्नेटिक स्टेटर होता है लेविटेशन क्वाइल और फेरोमैग्नेटिक स्टेटर दोनो में अलग अलग ध्रुव बनते हैं जिससे दोनो एक दूसरे को आकर्षित(attract) करते हैं जिससे ट्रेन लगभग 1cm उपर उठ जाता है। जिसके कारण ट्रेन और ट्रेक के बीच घर्षण बहुत ही कम हो जाता है और ट्रेन अधिक स्पीड(430km/h) से चलती है। इस सिस्टम का उपयोग जर्मनी और चीन के मैग्लेव ट्रेन में होता है

>>Acceleration of maglev

मैग्लेव ट्रेन की acceleration (गतिवृद्वि) simple electromagnet  ट्रेन से थोड़ी सी अलग होती है इसमें परमानेंट मैग्नेट का उपयोग नहीं करते इलेक्ट्रो मैग्नेट का उपयोग करते हैं एवं क्वाइल को ट्रेक (पटरी) पर फीट किया जाता है   जिसे अलग से  डी.सी. सप्लाई द्वारा मैग्नेटाइज किया जाता है तथा ट्रेन मे भी इलेक्ट्रो मैग्नेट का उपयोग किया जाता है ।



चित्र के अनुसार जब ट्रेन के N पोल ट्रेक के S पोल द्वारा attract(आकर्षित) तथा N पोल को repel (प्रतिकर्षित) करते एवं ट्रेन के S पोल ट्रेक के N पोल द्वारा attract(आकर्षित) तथा S पोल द्वारा repel(प्रतिकर्षित) होते हैं इस प्रकार ट्रेन पर आगे की ओर force (बल) लगती है और ट्रेन मेें acceleration होता है 
Maglev ट्रेन में Acceleration के लिए Linear motor का उपयोग किया जाता है














Wireless electricity transfer in hindi। टेसला क्वाइल क्या है? कैसे कार्य करता है ?। निकोला टेसला ।

>>>वायरलेस पावर ट्रांसफर<<<


 आज से 200 साल पहले जब ए.सी. (alternating current) बिजली (Electricity) की विस्तार नहीं हुई थी,उस समय पूरी दूनिया में अंधेरे का साम्राज्य हुआ करता था

उस समय के लोग लालटेन और मसाले के सहारे जीवन यापन करते थे,फिर 10 जुलाई सन् 1856 में  स्मिलजान  (क्रोएशिया के गांव)


में चमकती हुई बिजली के साथ एक ऐेसे व्यक्ति का जन्म हुआ

जिन्होनें पूरी दूनिया को रोशन करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया ,उस महान व्यक्ति का नाम था निकोला टेसला।  जिनकी पूरी जिन्दगी विज्ञान को समर्पित थी।  और आज से लगभग 150  साल पहले कुछ ही जगहों पर डायरेक्ट करेंट की सप्लाई होती थी, उसका कारण था DC सप्लाई में ट्रांसफार्मर का उपयोग न होने के कारण कन्डक्टर (चालक) का मोटाई अधिक होना तथा हीट loss (हानि)ज्यादा होना।

जिसके कारण DC सप्लाई की मूल्य बहुत ज्यादा था निकोला टेसला इस समस्या का हल जानते थे, कि कैसे टांसफार्मर का उपयोग करके कन्डक्टर की साइज को कम किया जाय और कम मूल्य में पूरी दूनिया में अल्टरनेटिंग करेंट को पहुंचाया जाय । उन्होने अपने इस अल्टरनेटिंग करेंट के concept (सिद्धांत) को थामस अल्वा एडिसन के सामने रखा, लेकिन थामस अल्वा एडीसन पूरी दूनिया में डायरेक्ट करेंट की सप्लाई करना चाहते थे ,जिसके कारण उनके बीच लड़ाई हो गई जिसे करेंट वार के नाम से जाना जाता है

हांलाकि अंत में जीत निकोला टेसला की ही हुई और अल्टरनेटिंग करेंट के लाभ को देखते हुए पूरी दूनिया में AC बिजली ही पहुंचायी गयी। दोस्तो यही कारण है कि बिजली से चलने वाली लगभग सभी उपकरण एवं मशीनें AC यानी अल्टरनेेटिंग के लिये डिजाइन की गई हैं।

        उसके बाद  सन् 1891में उन्होने एक टेसला क्वाॅइल का निर्माण किया टेसला क्वाॅइल एक रेजोनेन्स ट्रांसफार्मर है।

 इस क्वाॅइल की रेंज कम होने के कारण बिजली को ज्यादा दूरी तक ट्रांसमिट नहीं की जा सकती थी। इस समस्या को दूर करने के लिए उन्होने सन् 1901 एक टाॅवर का निर्माण करना शुरु कर दिया था जिसे  Wardenclyffe Tower  के नाम से जानते थे।

इस टॉवर को बनाने के लिए  फण्ड उस समय के प्रसिद्ध बिजनेस मेन  J.P. Morgan देते थे।

लेकिन जब J.P. Morgan को पता चला की इस Tower से कोई भी वायरलेस बिजली ले सकेंगे।


तो उन्होंने निकोला टेसला को फण्ड देना बंद कर दिया और फण्ड न मिलने के कारण यह महत्त्वपूर्ण आविष्कार दूनिया के सामने नही आ सकी।


दोस्तों हो सकता था यदि ये आविष्कार पूर्ण हो जाता तो हो सकता था कि हम डाटा की तरह बिजली को वायरलेस ट्रांसमिट कर पाते लेकिन फण्ड न मिलने  के कारण यह आविष्कार दूनिया के सामने नहीं आ सकि 
 और दोस्तों अभी के समय में जो वायरलेस चार्जिंग आ रहे है उसमें निकोला टेसला के टेसला क्वाइल के consept (सिद्धांत) का उपयोग करते हैं जिसके कारण हम कुछ ही दूरी तक बिजली को ट्रांसमिट कर मोबाइल को चार्ज कर पाती है  और अभी जो इलेक्ट्रिक कार आ रही है उसे वायरलेस चार्ज कर पायेंगे। 

>>Wireless Charging pad


इलेक्ट्रानिक उपकरणो जैसे Mobile Wireless charging,Electric Toothbrush,induction cooker अभी जो electric cars आ रही है उसे चार्ज करने के लिए निकोला टेसला के इसी सिद्धांत का उपयोग करेंगे

 इसमें ट्रांसमीटर और रिसीवर दो क्वाॅइल होते हैं ट्रांसमीटर क्वाइल में हाई फ्रीक्वेंसी की मैग्नेटिक फील्ड बनाया जाता हैं  जिसके कारण पास रखे में दूसरी क्वाॅदल में फैराडे के म्यूचूअल इंडक्शन नियम के अनुसार ई.एम.एफ. करेंट प्ररित हो जाता है यह ई.एम.एफ. हाई फ्रीक्वेंसी मैग्नेटिक फील्ड के कारण हवा से ट्रांसमिट होती है दोनो क्वाइल एक कोर ट्रांसफार्मर की तरह काम करता है जिसके कारण बिजली कुछ दूर तक ट्रांसमिट होती हैं।

     


>>टेसला क्वाॅइल को हम दो प्रकार से बना सकते हैं


 1 ट्रांजिस्टर/mosfet के द्वारा (solid state tesla coil)

 2 ट्रांसफार्मर के  द्वारा (spark gap tesla coil)


>>The following components will be required to make a transistor based Tesla coil.


    इसे small एवं medium दो प्रकार से बना सकते हैं,

Small के लिए transistor 2n2222 का उपयोग 9 volt के बैटरी के साथ करेंगे। और medium के लिये transistor TIP41C का उपयोग 18-30 volt DC SUPPLY के साथ करेंगे

 1.Coil (27-36 number/gauge copper coil)

     2.Transister TIP 41C for small-2n2222 

     3.Resister-22k ohm for small ,10 -15 k for medium

     4.DC supply 18-24 volt/ 9 volt battery

     5.pvc pipe or non metallic pipe10-15cm








>सर्किट के अनुसार सप्लाई के -ve टर्मिनल को ट्रांजिस्टर के Emitter से कनेेक्ट करेंगे ।

>सप्लाई के +ve टर्मिनल को स्विच से एवं स्विच का दूसरा टर्मिनल 10 k ohm तथा प्राइमरी क्वाइल के प्रथम सिरे के साथ   कनेेक्ट करेेंगे।

>प्रथम क्वाॅइल के दूसरे सिरे का कनेक्शन ट्रांजिस्टर के Common   के साथ करेंगे।

>ट्रांजिस्टर के Base का कनेक्शन दूसरे क्वाॅइल के सिरे से करेंगे।



Note-यदि सर्किट के अनुसार कनेक्शन हो जाने के बाद यदि टेसला क्वाइल काम न करें तो प्राथमिक क्वाइल को आपस में बदल देंगे।

>>ट्रांजिस्टर बेस्ड टेसला क्वाइल का कार्यप्रणाली(working)


>जैसे ही स्विच को ON करते हैं सप्लाई(battery) के +ve  टर्मिनल  से करेंट दो भाग में बट जाता है 1. प्राथमिक क्वाइल से होते हुए transister के common  टर्मिनल पर पहुंचताा है। 

2 .10 k Resistor से होते हुए Base पर पहुंचती है।


>जिसके कारण बेस से होते हुए small बेस करेंट फ्लो होगी चूंकि इस परिपथ में ट्रांजिस्टर स्विचिंग की भांती कार्य करता है इसलिए करेंट Collector से Emitter एवं Emitter से  battery के -ve टर्मिनल पर पहुंचेगी।


>जिससे प्राइमरी सर्किट में करेंट फ्लो होगी जिसके कारण प्राइमरी क्वाॅइल में मैग्नेटिक फील्ड प्रोड्यूस होगा

                        Basic circuit diagram of  solid state tesla coil

>जिसके कारण पास रखे दूसरी(secondary)क्वाइल में फैराडे के इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इन्डक्शन नियम के अनुसार EMF Induced  हो जायेगा।
                   Basic circuit diagram of solid state  tesla coil

>दूसरे क्वाइल में +ve  सिरा उपर की ओर तथा -ve सिरा नीचे की ओर होगा चूंकि -ve सिरा ट्रांजिस्टर बेस से कनेक्टेड है।

 >इसलिए ट्रांजिस्टर रिवर्स बायस में चला जायेगा और ट्रांजिस्टर  OFF हो जायेगा और प्राइमरी क्वाइल का फ्लक्स collapse (समाप्त) हो जायेगा 

>और उसके बाद सेकंडरी क्वाइल की polarity बदल  जायेगा।

>उसके बाद फिर से ट्रांजिस्टर फाॅरवर्ड बायस में ON हो जायेगा तथा प्राइमरी क्वाइल में करेंट फ्लो होगी।

और यही प्रक्रिया यह प्रक्रिया अधिक स्पिड से चलती रहेगी एवं दोनो क्वाइल continue ON/OFF होते रहेंगे।लेकिन दोनों एक साथ ON/OFF नही होंगे,एक ON होगा तो दूसरा डिस्चार्ज होगा।

>>ट्यूब लाइट/ CFL कैसे जलती है?

>ट्रांजिस्टर के बहुत ही तीव्र गति से ON,OFF  होनेे के कारण सेकंडरी क्वाइल में हाई  Frequency की  करेंट तथा टर्न अधिक होने के कारण सेकंडरी क्वाइल में हाई वोल्टेज produce होगी ।

 >Secondary coil में हाई frequency की वोल्टेज induce होने के कारण coil में different potential होने के कारण coil के across केपेसिटेंस आ जाता है जिसे parasitic capacitance कहते हैं । जिसके कारण सेकण्डरी क्वाइल में self resonance की प्रवृत्ति भी होती है।

 
>   और इस capacitance के कारण    हाई इलेक्ट्रिक फील्ड  प्रोड्यूस हो जाता है एवं ट्यूब लाइट/CFL में मरकरी की वाष्प, आर्गन एवं फॉस्फर की कोटिंग होती है। मरकरी की वाष्प हाई इलेक्ट्रिक फील्ड के कारण आयनित हो जाती है और पराबैगनी किरण(ultra violet) की उत्सर्जन करती  है जो अदृश्य प्रकाश होती है जिसे फॉस्फर की कोटिंग करके दृश्य प्रकाश बदला जाता है। आर्गन गैस जो अक्रिय होती है फिलामेंट को सुरक्षित रखने का कार्य करती है लेकिन tesla coil में इस फिलामेंट की आवश्यकता नहीं है।


>>LED लाइट कैसे जलती है?


टेसला क्वाइल से  changing (समय के साथ बदलने वाली) मैग्नेटिक फील्ड और इलेक्ट्रिक फील्ड दोनो प्रोड्यूस होती है




इलेक्ट्रिक फील्ड में ट्यूब लाइट जलती है जबकि LED लाइट फैराडे के इलेक्ट्रो मैग्नेटिक इंडक्शन के अनुसार चेंजिंग मैग्नेटिक फील्ड में होने के कारण क्वाइल emf induced में  हो जाता है जिससे LED जलती है। क्वाइल को 30 टर्न करके led से कनेक्ट करके क्वाइल को सेकंडरी क्वाइल के पास मैग्नेटिक फील्ड में लाने पर led जलने लगती है।
 



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   हैलो दोस्तों ,    इस ब्लाॅग में energy saving fully automatic smart street light  की coding एवं circuit diagram  किस प्रकार से है. उसे इस...